जिधर चाहो उधर नाव पतवार करने की , द्रोण को अब अगूंठा न देना है ! जिधर चाहो उधर नाव पतवार करने की , द्रोण को अब अगूंठा न देना है !
बसंत ऋतु में होने लगता, प्यार का सुखद एहसास। चहुँओर दिखती हरियाली, मन में जगती है न बसंत ऋतु में होने लगता, प्यार का सुखद एहसास। चहुँओर दिखती हरियाली, मन म...
प्राचीन को नवीन बनाओ प्रगतिशील संवेदनशील बनो। प्राचीन को नवीन बनाओ प्रगतिशील संवेदनशील बनो।
नई मनुस्मृति नई मनुस्मृति
अशांत कोलाहल की जिंदगी से दूर शांति का दूत बनेगाI अशांत कोलाहल की जिंदगी से दूर शांति का दूत बनेगाI
चलो उठो अब शरुआत हो छोड़ पुरानी नई बात हो मानो तो कई खुशी पास है दिन नया है नई आस है चलो उठो अब शरुआत हो छोड़ पुरानी नई बात हो मानो तो कई खुशी पास है दिन नया...